पथ



जीवन, अनवरत प्रवाहित सलिला की भांति,

निःशेष, निःसीम, न थमता कहीं।

विप्लवों की गर्जना में छिपा नव निर्माण,

हर विघ्न में समाहित शुभ संधान।


दुःख-विसंगतियां हैं व्रण के रूप समान,

जो संजीवनी बनकर करते अभिषेक महान।

हर अश्रु की मणि में प्रतिबिंबित अभिलाषा,

हर क्षण में समाहित युगों की परिभाषा।


प्रलय भी इसका पथ रोक न सका,

धरा का आलिंगन भी इसे थाम न सका।

अचेतन में चेतना का बीज बोती है,

जीवन कभी रुकता नहीं, बस होता है।


विराम का भ्रम बस दृष्टि का छल है,

प्रत्येक विफलता में विजय का पल है।

संघर्ष ही संजीवनी, पथ का परिपथ,

हर अवरोध में सृजन का नव-अरविंद व्रत।


अतः, जीवन को पहचानो, इसे समझो,

इसके प्रवाह में स्वयं को पुनः गढ़ो।

यह चिरंतन है, यह अडिग है, यह महान है,

जीवन की गाथा अविराम है, अम्लान है।


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