मैं जानता हूँ

मेरे जाने से ये वक़्त नहीं रुका,

हवाएँ नहीं रुकी, ये साँसें नहीं रुकी

तो फिर तुम्हारी ज़िन्दगी कैसे रुक गयी ?

जो वक़्त हम साथ बिताते, 

वो न तुम्हारे वश में था , न मेरे

वो केवल एक कल्पना था

और कल्पना के लिए कैसा रोना ?

याद वो वक़्त रखो ,

जो वक़्त हमने साथ बिताएं

और जब तुम वो वक़्त याद करोगी,

तो सिर्फ मुस्कुराओगी

मैं जनता हूँ ,

भूला नहीं सकोगी मुझे

लेकिन याद कुछ यूँ रखना 

कि तुम्हारे जीने के काम आ सकूँ ।

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