आखिरी पन्ने पर
तुम,
हाँ, तुम ही थी
डायरी के आखिरी पन्ने पर
एक स्केच भी तो था
डायरी के गिने-चुने पन्नों के बीच,
कुछ मुड़े- कुछ फटे, वही पन्ने
न जाने कितनी हीं बार पलटे गए
और ना जाने कितनी हीं बार पढ़े गए, पन्ने
काली, पीली और खुरदुरे पन्ने
वो बेवाक सी हंसी तुम्हारी
संवाली सी, मोटी काली भौंहे तुम्हारी
एक आंख को ढके हुए
बिखरते, उलझते हुए ज़ुल्फ़ तुम्हारी
हल्का नर्म सा,
जैसे साँस लेती हो तुम
डायरी के पन्नो के बीच
रात को शायद रोती भी तो हैं,
हाँ, शायद वो तस्वीर तुम्हारी
वो शर्माती, गुस्साई सी तस्वीर तुम्हारी
और मुस्कुराती भी तो थी
हर घिंसे पन्ने पर,
रूठी सी तस्वीर तुम्हारी
तुम ही तो थी
डायरी के आखिरी पन्ने पर
हाँ, एक तस्वीर भी तो था ।
हाँ, तुम ही थी
डायरी के आखिरी पन्ने पर
एक स्केच भी तो था
डायरी के गिने-चुने पन्नों के बीच,
कुछ मुड़े- कुछ फटे, वही पन्ने
न जाने कितनी हीं बार पलटे गए
और ना जाने कितनी हीं बार पढ़े गए, पन्ने
काली, पीली और खुरदुरे पन्ने
वो बेवाक सी हंसी तुम्हारी
संवाली सी, मोटी काली भौंहे तुम्हारी
एक आंख को ढके हुए
बिखरते, उलझते हुए ज़ुल्फ़ तुम्हारी
हल्का नर्म सा,
जैसे साँस लेती हो तुम
डायरी के पन्नो के बीच
रात को शायद रोती भी तो हैं,
हाँ, शायद वो तस्वीर तुम्हारी
वो शर्माती, गुस्साई सी तस्वीर तुम्हारी
और मुस्कुराती भी तो थी
हर घिंसे पन्ने पर,
रूठी सी तस्वीर तुम्हारी
तुम ही तो थी
डायरी के आखिरी पन्ने पर
हाँ, एक तस्वीर भी तो था ।
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