नहीं

नहीं

मैं नहीं

जानता हूँ तुम्हें

नहीं पहचानता वो आँखें

वो अजनबी सी स्पर्श तुम्हारी

बेवजह का मिलना फिर बस ग़ायब

बेमानी सा बेगाना सा रिश्ता

अब नहीं जानना चाहता

ख़लिश ही सही

अब तुम

नहीं !

~दिवाकर

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