किसी और की रातों का चांद
तूं किसी और की रातों का चांद हीं सही
मेरी दुनियां के हर रंग में शामिल तुम हो
तुम्हीं से रौशन हैं मेरे ख़्वाब
मेरी उम्मीद
मैं किसी भी राह से गुजरूं
मेरी मंजिल तुम हो
हादसा बनकर कोई ख़्वाब बिखर जाए तो क्या हो ?
वक्त जज़्बात को तब्दील नहीं कर सकता
दूर हो जाने से एहसास नहीं मीट सकता
ये मोहब्बत हैं
दिलों के रिश्तें
ऐसे रिश्ते
जो जमीरों की तरह
सरहदों में कभी तख्सीन नहीं हो सकतें
तूं किसी और की रातों का चांद हीं सही
मेरी दुनियां के हर रंग में शामिल तुम हो
तुम्ही से रौशन हैं
मेरे ख़्वाब - मेरी उम्मीद
मैं किसी भी राह से गुजरूं
मेरी मंजिल तुम हो |
A beautiful poem that I have remembered since my school day. I am not able to acknowledge the source , from where I had it.
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